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सट्टा मटका क्या है?

सट्टा किंग, जिसे आमतौर पर सट्टा मटका भी कहा जाता है, भारत में एक बहुत ही प्रसिद्ध लॉटरी-जैसा खेल है। यह खेल आज भी कामकाजी वर्ग के बीच काफी लोकप्रिय है। हालांकि कई लोग इसे सरकारी लॉटरी के साथ मिला देते हैं, लेकिन इसका इतिहास और तरीका दोनों अलग हैं।

सट्टा मटका’ की शुरुआत स्वतंत्रता से पहले हुई थी। उस समय लोग न्यूयॉर्क कॉटन एक्सचेंज और बॉम्बे कॉटन एक्सचेंज के बीच भेजे गए कपास के ओपनिंग और क्लोजिंग रेट्स पर दांव लगाते थे। उस दौर में रेट की जानकारी टेलीप्रिंटर से भेजी जाती थी।

समय के साथ यह खेल एक नंबर-बेस्ड लॉटरी सिस्टम में बदल गया। आज भारत के कुछ राज्य जैसे गोवा, सिक्किम, केरल, महाराष्ट्र, मेघालय, पंजाब, अरुणाचल प्रदेश और असम में लॉटरी को वैध किया गया है, लेकिन सट्टा मटका अब भी ज्यादातर राज्यों में अवैध माना जाता है।


सट्टा किंग क्या है?

सट्टा किंग एक नंबर पर आधारित जुआ खेल है, जिसमें खिलाड़ी 00 से 99 के बीच एक नंबर चुनते हैं। जिसका नंबर निकल आता है, उसे सट्टा किंग घोषित किया जाता है और वह इनामी राशि जीतता है।

1950 के दशक में इस खेल को “अंकड़ा जुआ” कहा जाता था। भारत में पब्लिक गैंबलिंग एक्ट 1867 के तहत पारंपरिक सट्टा खेलना गैरकानूनी है, लेकिन कई ऑनलाइन वेबसाइट्स और ऐप्स इसे “एंटरटेनमेंट गेम” के नाम पर चलाती हैं।


सट्टा मटका का इतिहास

सट्टा मटका की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी। कल्याणजी भगत ने 1962 में कल्याण मटका शुरू किया जो हफ्ते के सातों दिन चलता था।
इसके बाद रत्तन खत्री ने न्यू वरली मटका नाम से इसका नया रूप पेश किया, जो हफ्ते में पांच दिन चलता था।


आधुनिक समय में सट्टा मटका (2026)

आज के डिजिटल युग में, सट्टा मटका का रूप पूरी तरह बदल चुका है। 2026 में यह खेल कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स और मोबाइल ऐप्स पर खेला जा सकता है।
हालांकि, ऑनलाइन सट्टा पर कानूनी स्थिति अब भी अस्पष्ट है। कुछ वेबसाइट इसे “स्किल गेम” बताती हैं, लेकिन वास्तव में यह एक चांस (luck) पर आधारित खेल है।


सट्टा मटका कैसे खेला जाता है?

खिलाड़ी 00 से 99 के बीच कोई एक नंबर चुनते हैं। सभी नंबरों को एक मटका (मिट्टी का घड़ा) में डाल दिया जाता है। एक पर्ची निकाली जाती है और उसी पर तय होता है कि विजेता कौन है।

अगर आपका नंबर निकल आता है तो आप सट्टा किंग बन जाते हैं, वरना आपकी लगाई हुई रकम चली जाती है।
हर खेल का एक तय समय होता है जब रिजल्ट (Satta King Result) घोषित किया जाता है।


सट्टा किंग एक लॉटरी गेम के रूप में

हालांकि सट्टा किंग देखने में लॉटरी जैसा लगता है, लेकिन यह असल में जुआ श्रेणी में आता है।
भारत में यह अवैध है, लेकिन कुछ ऑनलाइन साइट्स इसकी वैधता को लेकर कानून की अस्पष्टता का फायदा उठाती हैं।


कानूनी दृष्टिकोण

भारत में जुआ राज्य विषय (State Subject) है, यानी हर राज्य अपनी स्थिति खुद तय कर सकता है।
गोवा, सिक्किम, महाराष्ट्र, केरल, मध्य प्रदेश, पंजाब और पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ हिस्सों में लॉटरी या कैसीनो की अनुमति है।

लेकिन केंद्र सरकार का पुराना कानून — Public Gambling Act, 1867 — आज भी अधिकांश राज्यों में लागू है।

  • पहली बार पकड़े जाने पर ₹300 तक का जुर्माना या एक महीने की सजा।

  • दोबारा अपराध करने पर छह महीने तक की जेल या ₹500 तक का जुर्माना।


सट्टा किंग: भाग्य का खेल

सट्टा किंग पूरी तरह भाग्य पर आधारित खेल है। कोई भी खिलाड़ी अपनी बुद्धि या कौशल से इसे नहीं जीत सकता।
सट्टा रिकॉर्ड चार्ट और लाइव रिजल्ट्स जैसे गली, देसावर, आदि खेलों के जरिए लोग अगले नंबर का अनुमान लगाते हैं।

लेकिन अनुमान लगाना एकदम सटीक नहीं होता — इसलिए इसे चांस गेम (game of chance) कहा जाता है।


कौशल का खेल बनाम भाग्य का खेल

तुलनाकौशल का खेलभाग्य का खेल
प्रतिद्वंदीअन्य खिलाड़ीसिस्टम/हाउस
निर्भरताअनुभव और रणनीतिपूरी तरह किस्मत
जरूरतअभ्यास, समझ, और कौशलसंयोग और भाग्य
जीत का आधारखिलाड़ी की क्षमतापूर्णतः संयोग
उदाहरणरम्मी, फैंटेसी स्पोर्ट्स, शतरंजलॉटरी, रूलेट, पासा

सट्टा मटका के कानूनी प्रभाव

भारत में कौशल आधारित खेलों को कानूनी और भाग्य आधारित खेलों को अवैध माना गया है।
सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों में रम्मी और घुड़दौड़ को स्किल गेम बताया गया है, जबकि सट्टा मटका को अब भी जुआ माना जाता है।


क्या ऑनलाइन सट्टा भारत में वैध है? (2026)

भारत में पारंपरिक सट्टा तो अवैध है, लेकिन ऑनलाइन लॉटरी और फैंटेसी स्पोर्ट्स को कुछ राज्यों में मंजूरी मिली है।
2026 में उम्मीद की जा रही है कि सरकार ऑनलाइन गैंबलिंग को रेगुलेट करने के लिए नए कानून ला सकती है ताकि टैक्स के रूप में राजस्व बढ़ाया जा सके।


सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख फैसले

  • R.M.D. Chamarbaugwala बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (1957): स्किल वाले खेल जुआ नहीं माने जाएंगे।

  • स्टेट ऑफ आंध्र प्रदेश बनाम के. सत्यनारायण (1968): रम्मी को कौशल का खेल माना गया।

  • के.आर. लक्ष्मणन बनाम स्टेट ऑफ तमिलनाडु (1996): घुड़दौड़ को स्किल गेम घोषित किया गया।


निष्कर्ष

सट्टा मटका भारत में अब भी गैरकानूनी खेल है, क्योंकि यह पूरी तरह भाग्य पर निर्भर करता है।
हालांकि, 2026 में ऑनलाइन गेमिंग के बढ़ते चलन को देखते हुए यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में भारत में रेगुलेटेड ऑनलाइन बेटिंग का दौर शुरू हो सकता है।

अगर इसे सही तरीके से नियंत्रित किया गया, तो यह न केवल सुरक्षित खेल साबित होगा बल्कि सरकार के लिए राजस्व का नया स्रोत भी बन सकता है।


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ 2026)

प्रश्न 1: मटका गेम क्या है?
यह एक लॉटरी जैसा खेल है जिसमें 1 से 9 तक के दो नंबरों का अनुमान लगाया जाता है।

प्रश्न 2: सट्टा मटका के कितने प्रकार हैं?
मुख्य रूप से दो प्रकार — कल्याण मटका और वरली मटका

प्रश्न 3: मटका कैसे जीता जाता है?
खिलाड़ी तीन नंबर चुनते हैं (जैसे 1, 4, 7)। तीनों का योग (12 → 2) अंतिम एकल अंक माना जाता है।

प्रश्न 4: मटका का इतिहास क्या है?
इसकी शुरुआत स्वतंत्रता से पहले अंकड़ा जुआ के नाम से हुई थी।

प्रश्न 5: सट्टा मटका इतना लोकप्रिय क्यों है?
क्योंकि इसे खेलना आसान है, नियम सरल हैं और परिणाम जल्दी मिल जाते हैं।


लेखक परिचय (Biographical Info)

लेखक: राजेश मेहता
अपडेट किया गया: जनवरी 2026

राजेश मेहता एक स्वतंत्र लेखक और डिजिटल मीडिया शोधकर्ता हैं जो भारत में ऑनलाइन गेमिंग, सट्टा मटका और जुआ कानूनों पर लिखते हैं।
पिछले 8 वर्षों से वे टेक्नोलॉजी और एंटरटेनमेंट से जुड़े विषयों पर काम कर रहे हैं।
राजेश का उद्देश्य है लोगों को स्पष्ट और तथ्यों पर आधारित जानकारी देना ताकि वे ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया को बेहतर समझ सकें।

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